रविवार, 21 अक्तूबर 2012

INDIAN BRANDS' STORY: विभिन्न ब्राण्ड नामों का उद्भव


विभिन्न ब्राण्ड नामों का उद्भव


 हमारे देश में विभिन्न ब्राण्ड हैं जिनके तले हर प्रकार की वस्तु या सेवा उपलब्ध है। इन ब्रांडों में देसी ब्राण्ड भी हैं और विदेशी भी। यहाँ हम सिर्फ देसी या भारतीय ब्रांडों की ही चर्चा करेंगे। ब्राण्ड नाम किसी कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई जा रही वस्तुओं या सेवाओं की छवि को प्रस्तुत करता है। जैसे टाटा, LIC आदि नाम भरोसे और विश्वास के प्रतीक हैं। गोदरेज नाम लेते ही मजबूत आलमारियों और ऑफिस फर्नीचर की छवि उभरती है। यह जानना रुचिकर है कि यह ब्राण्ड नाम कहाँ से आये। 

न सिर्फ भारत में बल्कि विश्व में अधिकतर ब्राण्ड संस्थापक व्यक्ति या परिवार का नाम अथवा उपनाम पर आधारित होता है। भारत के प्रमुख ब्राण्ड टाटा, बिरला, मोदी, बजाज, गोदरेज हों या विदेशी बाटा, कोलगेट, जॉनसन एंड जॉनसन आदि, ये सभी उपनाम पर आधारित ब्राण्ड हैं। कुछ प्रमुख भारतीय ब्राण्ड जो संस्थापकों के उपनाम पर आधारित हैं, इस प्रकार हैं:-

ब्राण्ड                       संस्थापक     
टाटा                          जमसेतजी नौशेरवां जी टाटा 
बिरला                       शिवनारायण बिरला 
बजाज                       जमनालाल बजाज 
गोदरेज                     आर्देशिर गोदरेज एवं पिरोजशा गोदरेज 
थापर                        करमचंद थापर 
अदानी                      गौतम अदानी 
जिंदल                      ओमप्रकाश जिंदल 
वाडिया                     लोवजी नौशेरवां जी वाडिया 
किर्लोस्कर                 लक्ष्मणराव किर्लोस्कर 
डॉ रेड्डीज़                  डॉ कल्लम अंजी रेड्डी  
मुथुट                        मुथुट निनान मथाई 
मुरुगप्पा                   दीवान बहादुर ए एम मुरुगप्पा 

कुछ ब्राण्ड नाम संस्थापकों के नाम या उनके नामों के संक्षिप्ताक्षरों पर आधारित हैं, जैसे:-

जे पी                        जय प्रकाश गौर
आर पी जी                राम प्रसाद गोयनका 
टी वी एस                  टी वी सुन्दरम आयंगर 

एल एंड टी: लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी) के संस्थापक इंजीनियरों हेनिंग हॉक लार्सन एवं सोरेन के टुब्रो के उपनामों के मेल से यह ब्राण्ड बना है। उक्त दोनों इंजीनियर डेनमार्क से भारत नौकरी के सिलसिले में आये थे और बाद में नौकरी छोड़कर दोनों ने मुंबई में 1 मई 1938 को लार्सन एंड टुब्रो कंपनी को स्थापित किया। संस्थापकों के विदेशी होने के बावजूद एल एंड टी पूर्णतया भारतीय कंपनी है। 

एम एंड एम (महिंद्रा एंड महिंद्रा): आजादी के पहले एम एंड एम का आशय था महिंद्रा एंड मोहम्मद। सन 1945 में जगदीशचंद्र व कैलाशचंद्र महिंद्रा ने मोहम्मद ब्रदर्स के साथ 'महिंद्रा एंड मोहम्मद' यानी एम एंड एम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की स्थापना की थी। मोहम्मद ब्रदर्स के गुलाम मोहम्मद आजादी के बाद मोहम्मद अली जिन्ना के बुलावे पर पाकिस्तान चले गए, जहाँ वे 1951 से 1956 तक पाकिस्तान के गवर्नर जनरल रहे। गुलाम मोहम्मद के पाकिस्तान चले जाने पर महिंद्रा बंधुओं ने कंपनी का नया नामकरण किया 'महिंद्रा एंड महिंद्रा'।

एस्सार: संस्थापक भाईयों शशि रुईया तथा रवि रुईया के नामों के प्रथमाक्षर एस तथा आर के उच्चारण एसआर यानी एस्सार (ESSAR) पर आधारित है।

रैनबैक्सी: मशहूर दवा निर्माता कंपनी की स्थापना दिल्ली के दो सिख व्यापारियों रणजीत सिंह तथा गुरबख्श सिंह ने एक जापानी दवा कंपनी के विटामिन्स व टीबी की दवाओं के भारत में वितरण करने हेतु की थी। कंपनी का नामकरण रणजीत सिंह ने अपने नाम का रण (RAN) तथा गुरबख्श सिंह ने अपने नाम का बख्श (BAX) मिलाकर रैनबैक्सी (RANBAXY) किया। हाल तक कंपनी के मुखिया रहे मालविंदर सिंह अरोड़ा तथा शिविंदर सिंह अरोड़ा, भाई मोहनसिंह के पोते हैं जिन्होंने उक्त संस्थापकों से रैनबैक्सी को 1954 में खरीद लिया था। अरोड़ा बंधुओं ने भी  रैनबैक्सी को जापानी दवा कंपनी 'दाईची' को हाल ही में बेच दिया है।

डाबर: डाबर की स्थापना डॉ एस के बर्मन ने कोलकाता (तब के कलकत्ता) में 1884 में की थी। उन्होंने आयुर्वेदिक औषधियों की छोटी सी दुकान से शुरुआत की थी। डॉ एस के बर्मन को लोग सम्मान से बर्मन दा  कहते थे। बंगाल में दा संबोधन सम्मानजनक माना जाता है। डाबर नाम 'दा' (DA) व बर्मन के 'बर' का योग है।

निरमा: गुजरात के एक साधारण कर्मचारी करसन भाई पटेल ने साइकिल पर रखकर डिटर्जेंट पॉवडर अहमदाबाद की गलियों में बेचने से शुरुआत करके डिटर्जेंट पॉवडर का ऐसा ब्राण्ड तैयार किया जिससे हिंदुस्तान लीवर जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनी भी घबराती थी। निरमा ब्राण्ड नाम उनकी पुत्री निरुपमा के नाम के अक्षरों से लिया गया है। दुखद बात यह है की उनकी इस पुत्री की अल्पायु में ही सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी।

भारती इंटरप्राइजेज: सांसद सतपाल मित्तल के तीन पुत्रों राकेश मित्तल, राजन मित्तल और सुनील मित्तल (एयरटेल के संस्थापक) ने भारती  इंटरप्राइजेज की स्थापना की थी। सांसद सतपाल मित्तल ने अपने नाम से जातिगत संबोधन मित्तल को हटा कर भारती जोड़ लिया था। उनके पुत्रो ने इसी नाम को अपने कारोबार का ब्राण्ड नाम बना दिया।

नामों एवं उपनामों से अलग कुछ ब्राण्ड अपनी कंपनियों का नामों का संक्षिप्ताक्षर हैं। इनमे से कुछ प्रमुख ब्राण्ड   निम्न हैं:-

एल आई सी: लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया
आई सी आई सी आई: इंडस्ट्रियल क्रेडिट एंड इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया
डी एल एफ: दिल्ली लैंड एंड फाइनेंस

बी पी एल: ब्रिटिश फिजिकल लैबोरेटरीज। संस्थापक टी पी जी नाम्बियार। नाम से विदेशी प्रतीत होने के बावजूद स्वदेशी दक्षिण भारतीय कंपनी है।

आई टी सी: इंडियन टोबैको कंपनी। पहले यह इम्पीरियल टोबैको कंपनी कहलाती थी तथा इसी नाम की ब्रिटिश कंपनी की सब्सिडियरी थी। वर्तमान में यह पूर्णतया भारतीय कंपनी है जिसके प्रमुख वाई सी देवेश्वर हैं।

एम आर एफ: मद्रास रबर फैक्ट्री। संस्थापक के एम एम एम मप्पिलाई  त्रावणकोर के निवासी थे जिन्होंने गुब्बारे बनाने के कुटीर उद्योग से शुरुआत करके इस विशाल टायर कंपनी की नींव डाली।

विप्रो: महाराष्ट्र के जलगाँव जिले के गाँव अमलनेर के मोहम्मद हासम प्रेमजी ने 1954 में वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स (Western India Vegitable Products) के नाम से एक तेल मिल की स्थापना की। इसी का संक्षिप्त नाम विप्रो (WIPRO) है, तथा सनफ्लावर ब्राण्ड वनस्पति तेल एवं संतूर साबुन जैसे मशहूर उपभोक्ता सामान इसी कंपनी के हैं।  उनके सुपुत्र अजीम हासम प्रेमजी ने परंपरागत व्यवसाय के साथ कम्प्यूटर एवं सॉफ्टवेयर का व्यवसाय भी प्राम्भ किया जिसने न केवल इस कंपनी की अर्थव्यवस्था बल्कि इमेज भी बदल दी।

कुछ भारतीय कंपनियों के संस्थापकों ने अपनी कंपनियों एवं ब्राण्डस के नाम विदेशी भाषा जैसे जर्मन, फ्रेंच आदि से लिए हैं। जैसे:-

वोखार्ट (Workhardt): वोखार्ट (Workhardt) एक मात्र ऐसी भारतीय दवा निर्माता एवं बायो टेक्नोलॉजी तथा अस्पताल श्रृंखला चलाने वाली कंपनी है जिसे अंतर्राष्ट्रीय संस्था 'द सुपर ब्राण्ड काउंसिल' ने 'सुपर ब्राण्ड' का खिताब दिया है। इसके संस्थापक हाबिल खोराकीवाला हैं जिन्होंने 1960 में इसकी स्थापना की थी। वोखार्ट (Workhardt) वास्तव में जर्मन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ Work hard अर्थात कड़ी मेहनत है।

मा फोई: मा फोई मैनेजमेंट कंसल्टेंट्स जिसे अब मा फोई रैंस्टैड के नाम से जाना जाता है, भारत की सबसे बड़ी मानव संसाधन कंपनी है जिसके 14 देशों में 114 कार्यालय हैं। इसने 36 देशों में 218000 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है। इसके संस्थापक के पांडिया राजन तथा उनकी पत्नी हेमलता राजन ने इस कंपनी को 15 अगस्त 1992 को प्रारंभ किया था। मा फोई (MA FOI) एक फ्रेंच वाक्य है जिसका अर्थ मेरी आस्था या मेरा विश्वास है।

लैक्मे (LAKME): विदेशी नाम वाले ब्राण्ड में शायद सबसे रोचक कहानी लैक्मे (LAKME) की है। लैक्मे सौन्दर्य प्रसाधनों का एक भारतीय ब्राण्ड है जिसका स्वामित्व वर्तमान में बहुराष्ट्रीय कंपनी हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड के पास है। 1952 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने जब देखा कि भारतीय महिलाएँ विदेशी सौन्दर्य प्रसाधनों का बहुतायत से इस्तेमाल करती हैं, तो उन्होंने विदेशी मुद्रा बचाने की ग़रज़ से टाटा समूह के प्रमुख जे आर डी टाटा से सौन्दर्य प्रसाधनों का एक भारतीय ब्राण्ड प्रारंभ करने का आग्रह किया। टाटा समूह की टाटा आयल मिल्स कंपनी ने 'लक्ष्मी' ब्राण्ड नाम से सौन्दर्य प्रसाधनों (कॉस्मेटिक्स) की श्रृंखला लांच की और सिमोन टाटा को इसका मुखिया बनाया गया। अच्छी क्वालिटी के बावजूद भारतीय महिलाओं के बीच 'लक्ष्मी' ब्राण्ड सौन्दर्य प्रसाधन बुरी तरह से फ्लॉप हुये। टाटा समूह ने समीक्षा में पाया कि तत्कालीन भारतीय सौन्दर्य प्रसाधन ब्रान्डों की खराब इमेज और विदेशी सौन्दर्य प्रसाधनों को ज्यादा अच्छा मानने की मानसिकता के कारण 'लक्ष्मी' ब्राण्ड सौन्दर्य प्रसाधन फ्लॉप हुए हैं। उन्होंने 'लक्ष्मी' ब्राण्ड को उसके फ्रेंच उच्चारण लैक्मे (LAK'ME ) के नाम से पुनः लांच किया। ब्राण्ड में विदेशी ध्वनि आने के बाद यह सुपरहिट साबित हुआ। 1996 में टाटा ने इस ब्राण्ड को 200 करोड़ रू में हिंदुस्तान यूनिलीवर को बेच दिया।

कुछ ब्रांड किसी नाम को उल्टा लिखने से बने हैं, जैसे:-

मेटास इन्फ्रा (MAYTAS INFRA): सत्यम कंप्यूटर्स के संस्थापक बी रामलिंगा राजू की इस कंपनी का नाम SATYAM को उल्टा लिखने (MAYTAS) से बना है। इसी कंपनी के शेयर सत्यम  कंप्यूटर्स द्वारा खरीदने के  बी रामलिंगा राजू के निर्णय पर सत्यम कंप्यूटर्स के शेयर धारकों ने भारी विरोध दर्ज़ कराया जिससे अन्ततोगत्वा बी रामलिंगा राजू ने सत्यम  कंप्यूटर्स के खातों में रू 7000 करोड़ की गड़बड़ी स्वीकार की तथा वर्तमान में जेल में हैं।

ऑरटेम (ORTEM): ORTEM ब्रांड बिजली के पंखों (FANS) की निर्माता इस कंपनी का नाम METRO को उल्टा लिखने (ORTEM) से प्राप्त होता है।

अंत में भारत में विज्ञान लेखन के ब्राण्ड बन चुके लेखक आइवर यूशिएल का जिक्र करना अप्रासंगिक न होगा। वास्तव में आइवर यूशिएल मशहूर लेखक रवि लायटू (Ravi Laitu) के नाम को उल्टा लिखने पर प्राप्त होता है। कई साहित्यिक किताबों के लेखक रवि लायटू विज्ञान लेखन के लिए अपने नाम का उल्टा आइवर यूशिएल नाम का इस्तेमाल करते हैं।